ममता रानी
लेखिका स्वतंत्र पत्रकार हैं
आज फास्टफूड का जमाना है। न तो किसी के पास खाना बनाने का पर्याप्त समय है और न ही आराम से खाने खाने का। इस भागमभाग वाली जिंदगी में लोगों को अच्छा स्वास्थ्य तो चाहिए, परंतु उसके लिए उनके पास समय नहीं है। इसलिए बाजार रेडी टू ईट वाले पैकेटों से अटा पड़ा है। बस झटपट कुछ खाकर पेट भर लेना है। विशेषकर मैगी काफी लोकप्रिय हुई है। बच्चों से लेकर बड़ों तक को भूख लगने पर झटपट मैगी बनाकर खाते देखा जाता है। स्वाभाविक ही है कि इसका बुरा असर लोगों के स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है। मोटापा, मधुमेह जैसी जीवनशैलीजन्य बीमारियां तेजी से लोगों को अपना शिकार बना रही हैं।
भारतीय रसोई में भी फास्ट फूड की कमी नहीं रही है। हमारी रसोई में अनेक ऐसी चीजें हैं जो न केवल मैगी से भी कम समय में बन जाती है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए काफी लाभकारी भी होती है। ऐसी ही एक चीज है सत्तू। सत्तू नाम से थोड़ा पुरातन अवश्य लगता है और यह है भी काफी पुरातन। आखिर वेदों तक में सत्तू का उल्लेख पाया जाता है। वेदों में खाद्य के रूप में सत्तू की काफी प्रशंसा की गई है। परंतु पुरातन होने पर भी सत्तू न केवल काफी स्वादिष्ट है, बल्कि इसे झटपट बना कर खाया जा सकता है, इसे खाने से भूख तो मिटती ही है, सेहत भी अच्छी होती है। इसलिए इसे एक संपूर्ण आहार भी कहा जाता है।
सत्तू कई अनाजों का बनाया जाता है। चना, जौ और मक्के का सत्तू सबसे अधिक प्रयोग में आता है। वैसे तो सत्तू वर्षभर खाया जाता है, पंरतु गर्मियां आते ही इसका उपयोग काफी बढ़ा जाता है। विशेषकर बिहार, झारखंड, बंगाल, उत्तर प्रदेश में सत्तू का उपयोग काफी लोकप्रिय है। सत्तू की लिट्टी और सत्तू का शरबत स्थान स्थान पर बिकते देखा जा सकता है।
सत्तू शरीर का पोषण करने के साथ-साथ शरीर को अनेक बीमारियों से भी मुक्त रखता है। चने का सत्तू मोटापा और मधुमेह दोनों को ही नियंत्रित रखता है। सत्तू में कार्वाेहाइड्रेट, प्रोटीन, फाइबर तथा अन्य पौष्टिक पदार्थ भरपूर होते हैं। चूंकि सत्तू बनाने के लिए अनाज को भूना जाता है, इसलिए यह अत्यंत सुपाच्य भी होता है। सत्तू कब्जनाशक भी होता है। सुबह-सुबह सत्तू को पानी में पतला घोल कर पीने से कब्ज दूर होता है। साथ ही कफ और पित्त का भी शमन होता है और शरीर को तुरंत शक्ति प्रदान करता है। सत्तू भूख-प्यास तथा थकान को नष्ट करता है। यह नेत्रविकार को दूर करने में लाभकारी है। गर्मियों में सत्तू लू से भी बचाव करता है। घर से बाहर निकलने से पहले एक ग्लास सत्तू का शरबत पीकर निकलें तो लू नहीं लगेगी।
घर में भी सत्तू आसानी से बनाया जा सकता है। सत्तू बनाने के लिए अनाज (चना या जौ या मक्का) को पहले उबाल लें, फिर उसे भून लें। भूनने के बाद उसका छिलका निकाल कर उसे पीस लें। चने का सत्तू देखने में बेसन के जैसा ही होता है, परंतु भूने जाने के कारण इसका रंग थोड़ा गहरा होता है और इसमें से सोंधी सी खुश्बू भी आती है। सत्तू बनाने के बाद उसे एयरटाइट डब्बे में भर कर रखें तो फिर 2-3 महीने खराब नहीं होता। घर में बनाने में समस्या हो तो बाजार से भी अच्छा सत्तू खरीदा जा सकता है।
घर में सत्तू हो तो आप भूख की बात को भूल जा सकते हैं। सत्तू का शरबत बनाना नॉर का सूप और दो मिनट वाली मैगी दोनों से ही कहीं अधिक सरल है और उन दोनों से ही कम समय में बनता है। साथ ही यह उनके नुकसानों से बचाता है। सत्तू का शरबत अपनी रूचि के अनुसार नमकीन या मीठा बनाया जा सकता है। यदि समय हो तो सत्तू का पराठा या लिट्टी भी बना सकते हैं। सत्तू का पराठा औऱ लिट्टी काफी स्वाद भी लगते हैं और पौष्टिक भी होते हैं।
सत्तू में थोड़ा सा नमक, बारीक कटा प्याज, अजवाइन मिला कर थोड़ा पानी मिला कर सख्त-सा गूंद लें। इसे दाल-चावल या फिर रोटी के साथ खाएं। यह न केवल भोजन का स्वाद बढ़ा देगा, बल्कि पौष्टिक भी होगा। यहां सत्तू के दो व्यंजन बनाने की विधियां दी जा रही है।
सामग्री
सत्तू: दो बड़े चम्मच (यदि अधिक गाढ़ा शरबत बनाना हो तो तीन चम्मच लें)
पानी: एक ग्लास (200 मि.ली.)
नींबू: आधा
नमक तथा भुना जीरा पाउडर: स्वादानुसार
विधि : पानी में सत्तू, नींबू का रस, नमक और भुना जीरा पाउडर मिला कर घोल लें। शरबत तैयार है। गर्मियों में इसमें कच्चा प्याज को बारीक काट कर मिला सकते हैं। इससे यह लू से भी बचाव करता है और शरबत का स्वाद भी बढ़ा देता है। यदि मीठा शरबत बनाना हो तो नमक और भुना जीरा पाउडर की बजाय स्वादानुसार चीनी और एक चुटकी नमक मिला कर शरबत घोलें। शरबत अपनी रूचि के अनुसार गाढ़ा या पतला बना सकते हैं।
भरावन की सामग्री
सत्तू: 200 ग्राम, मध्यम आकार के प्याज: दो
अदरक: एक इंच टुकड़ा
लहसुन की कलियां: छह
हरी मिर्च: स्वादानुसार
काली मिर्च पाउडर: एक छोटा चम्मच
अजवाइन: 1 छोटा चम्मच, नमक: स्वादानुसार
सरसों का तेल: चार छोटे चम्मच
एक नींबू या फिर आम का अचार
विधि : प्याज, अदरक, लहसून और हरी मिर्च को बारीक काट लें। इसे सत्तू में मिला दें। नमक अजवाइन, सरसों का तेल और नींबू का रस या आम का अचार, जो भी उपलब्ध हो, को भी सत्तू में मिला कर थोड़ा सख्त-सा गूंद लें। गूंदे जाने के बाद मिश्रण को लड्डू जैसा बंधना चाहिए। यदि ऐसा नहीं हो पा रहा है तो थोड़ा पानी मिला कर फिर से गूंद लें। आटा अलग से गूंद लें। लिट्टी बनानी हो तो आटा में थोड़ा सा मोयन, नमक तथा अजवाइन डालकर थोड़ा सख्त गूंदें। लिट्टी बनाने के लिए आटे की लोई बना कर बाटी के समान गोल बना लें और उसमें उपरोक्त भरावन की सामग्री भरें। गोल लिट्टियों को या तो तेल में तल लें या फिर आग पर सेंक लें। इसे ओवन में भी बेक कर सकते हैं। आग या ओवन में सिंकी लिट्टियों पर देसी घी चुपड़ें। यही बिहार का प्रसिद्ध लिट्टी चोखा है।
पराठा बनाने के लिए सामान्य तरीके से आटा गूंद लें। उपरोक्त भरावन भर कर पराठे बनाकर सरसों से तेल से तवे पर सेंक लें। पराठा और लिट्टी दोनों को ही बैंगन-टमाटर के भर्ते के साथ खाएं।